कलयुग के विख्यात लोक देवता - जाहरवीर / गोगा पीर। राजस्थान के लोक देवता !!
कलयुग के विख्यात लोक देवता - जाहरवीर / गोगा पीर। राजस्थान के लोक देवता !!
आदेश सतगुरु जी !!
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे Blog लोक देवालय में यहाँ आपको भारत के अलग-अलग लोक देवताओ के बारे में जानने को मिलेगा। तो चलिए शुरू करते हैं
प्रिये पाठको आज हम आप लोगो के सामने बागड़ देश के राजा और राजस्थान के विख्यात लोक देवता वीर गोगा जी चौहान की कहानी लेकर आये हैं। वैसे तो वीर गोगा जी महाराज के बारे में आप सभी लोग जानते होंगे, लगभग हर घर में वीर गोगा जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इनका इतिहास आज के मनुष्य को जीवन में सफल होने के बारे में बहुत से पाठ पढ़ाता है, इसलिए इनके इतिहास का पूरा वर्णन एक लेख में करना लगभग नामुमकिन है। आज के इस लेख में हम आप लोगो को गोगा जाहर पीर के जीवन के कुछ अहम किस्सों के बारे में बताएंगे।
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गोगा जाहरवीर का जन्म
दोस्तों वीर गोगा जी चौहान का जन्म विक्रम संवत 1003 चूरु जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम राजा जेवर सिंह और माता का नाम बाछल था। बताया जाता है की राजा जेवर सिंह और रानी बाछल की विवाह nb के बहुत समय तक भी कोई औलाद नहीं थी और लोगो ने भी रानी बाछल को बाँझ का ताना मारना शुरू कर दिया था। तब रानी बाछल को एक दिन स्वप्न में भोले नाथ के दर्शन होते है और वे उनको गुरु गोरखनाथ की भगति करने को कहते है जिससे की उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होगी। उस दिन के बाद रानी बाछल पुरे लगन और विश्वास के साथ गुरु गोरखनाथ की सेवा में लग जाती हैं, और ऐसे ही सेवा करते करते उनको 12 साल का समय लग जाता है।उसके बाद गुरु गोरखनाथ बागड़ देश की नगरी में आते है और राजा जेवर सिंह के सूखे बागो में अपना धूंणा लगते है, गुरु गोरखनाथ की शक्ति से सूखा पड़ा बाग़ दुबारा हरा-भरा हो जाता है। जब रानी बाछल को पता लगी के गुरु गोरखनाथ उनकी नगरी में आ चुके है तो वो गुरु जी और उनके चेलो के लिए भोजन बना के ले के जाती है और गुरु गोरखनाथ से संतान प्राप्ति की विनती करती है। गुरु गोरखनाथ रानी बाछल को अगले दिन सूरज निकलने के समय पर बुलाते है और संतान का वरदान देने को कहते है। रानी बाछल बहुत खुस होती है और अपने रंग महलो में ख़ुशी से वापिस लोट जाती है और वह जेक सारी बात अपनी बहन काछल को बताती है जो की दिखने में बिलकुल बाछल जैसी थी। काछल को भी अभी तक संतान सुख नहीं मिला था तो उसने अपनी बहन बाछल के साथ धोखा करने की सोची और अगले दिन बाछल के वस्त्र पहन कर गुरु गोरखनाथ से आशीर्वाद लेने चली गयी। गुरु गोरखनाथ की माया की उन्होंने काछल को 2 जौ के दाने दिए और वहां से अपना डेरा उठा के चल दिए।
जब रानी बाछल वहां पर पहुंची तो वहां पर कोई नहीं था तब रानी बाछल विलाप करती हुई गुरु गोरखनाथ को ढूंढने लगी और जिस दिशा में गुरु जी गए थे उस दिशा में उनके पीछे भागने लगी। जब गुरु जी ने देखा की कोई उनके पीछे आ रहा है तो वे रुक गए। गुरु गोरखनाथ ने जब बाछल को देखा तो बोले क अब क्या चाहिए माई मैं आपको 2 पुत्रो का वरदान दे तो दिया है, तब रानी बाछल ने उनको बताया के कैसे उनकी बहन काछल ने उसके साथ धोखा कर के खुद पुत्रो का वरदान पा लिया। ये सभ सुन के गुरु गोरख नाथ पातळ लोक जाते है और वहां के राजा से पदम् नाग को एक गूगल के रूप में लाते हैं। गुरु गोरखनाथ यह गूगल रानी बाछल को देते है और कहते है की माई तुम्हारा बेटा दुनिया में नाम कमायेगा और मेरे पास से छल से लिए हुए तुम्हारी बहन के दोनों बेटो को रणो में पराजित करेगा। रानी बाछल ने गुरु गोरख नाथ द्वारा दी गयी गूगल को निसंतान अपनी एक दासी, एक ब्रामणी और नीली घोड़ी के साथ मिल के ग्रहण किया। जिससे गोगा जाहरवीर, नाहर सिंह पांडे, भजु कोतवाल और नील घोड़े का भाद्रपक्ष कृष्णा नवमी को जन्म हुआ।
गोगा जी का विवाह
गोगा जी का विवाह संगल द्वीप के कोरु देश की राजकुमारी सीरियल के साथ हुआ। उनके विवाह की एक बहुत ही दिलचस्प कथा है। कहा जाता है की राजकुमारी सीरियल के पिता ने गोगा जी का रिश्ता रोक लिया था और वे राजकुमारी की शादी गोगा जी महाराज से नहीं करा रहे थे। एक बार गोगा जी और उनके मोसरे भाई अर्जन - सर्जन खेल रहे थे, तभी गोगा जी के दोनों मोसरे भाइयो ने गोगा जी को ताना मारा के भाई तुम सिर्फ हम पर ही अपना जोर आजमा सकते हो। असल में तुम इतने बलवान नहीं हो क्युकी अगर तुम होते तो संगल द्वीप की राजकुमारी को अब तक ब्याह के ले आते, जिसका रिश्ता तुम्हारे लिए रोक रखा है। गोगा जी यह बात चुभ जाती है। गोगा जी महाराज संगल द्वीप में अपने ताखि नाग को भेजते है और उसे हुकुम देते है के मेरा मुकरा हुआ रिश्ता तुम लेके आवोगे। ताखि नाग गोगा जी की आज्ञा का पालन करता है और संगल द्वीप में पहुँच जाता है। वहां पर सीरियल अपनी सहेलियों के साथ बागो में झूला झूलने जा रही थी। ताखि नाग वहां पर सीरियल को काट लेता है। सीरियल को घर पर लाया जाता है परन्तु किसी भी वेध से सीरियल का इलाज नहीं होता है। तब वह ताखि नाग एक बूढ़े ब्राह्मण का रूप लेकर वहां पर जाता है और सीरियल की नाड़ी देख कर उसके पिता को कहता है की तुमने बागड़ देश के राजा का रिश्ता अपनी राजकुमारी के साथ तय करके रोक रखा है, यह सब उसी के कारण हुआ है अगर तुम अपनी पुत्री का विवाह जहारवीर के साथ करने को तैयार हो जाते हो तो ही राजकुमारी सीरियल ठीक हो सकती हैं। सीरियल के पिता जी ने ठीक वैसे ही किया जैसा की ताखि नाग ने उन्हें करने को कहा थ। इस प्रकार गोगा जी का विवाह संगल द्वीप की राजकुमारी सीरियल के साथ हुआ।माता बाछल द्वारा गोगा जी को महलो से निकालना
गोगा जी की शुरू से ही अपने मोसेरे भाइयो अर्जन और सर्जन से नहीं बनती थी क्युकी वे दोनों सदैव गोगा जी को निचा दिखाना चाहते थे और गोगा जी के राज्य पर बुरी नियत रखते थ। उन दोनों भाइयो ने दिल्ली के सुल्तान महमूद गजनवी के साथ मिल कर गोगा जी पर चढाई कर दी। गोगा जी ने अपना युद्ध कौशल दिखते हुए महमूद गजनवी और अपने दोनों मोसेरे भाइयो का डट कर सामना किया। इस लड़ाई में नहार सिंह पांडये, भजू कोतवाल और सबल सिंह बावरी ये सभी गोगा जी महाराज के साथ थे। इस लड़ाई के अंत में महमूद गजनवी भाग खड़ा हुआ और अर्जन - सर्जन गोगा जी के हाथो से मारे गए।
युद्ध जीत कर गोगा जी वापिस अपने रंग महलो में गए। वहां पहुंचने पर गोगा जी से उनकी माता पूछती है की बेटा युद्ध का क्या परिणाम रहा तो गोगा जी महाराज अपनी माता को अर्जन सर्जन के कटे हुए शीश दिखा देते है। जिनको देख कर माता बाछल व्याकुल हो जाती हैं और गोगा जी को कोसने लगती हैं। माता बाछल अपनी बहन के पुत्रो के शीश देख कर इतनी व्याकुल हो उठती हैं की गुस्से में गोगा जी महाराज से कह देती हैं की तुम इसी वक्त महलो से निकल जाओ और आज के बाद मुझे कभी अपना चेहरा मत दिखाना, आज के बाद तुम्हारे लिए महलो के रास्ते बंद हैं। माता बाछल की इतनी बात सुन कर गोगा अपने नीले घोड़े पर सवार होकर रंग महलो से निकल जाते हैं।
क्यों समाये गोगा पीर धरती में ?
माता बाछल द्वारा महलो से निकाले जाने पर भी गोगा जी महाराज अपनी रानी सीरियल से मिलने के लिए रात के अंधेरो में महलो में आते थे। जिसका माता बाछल को पता नहीं था। एक दिन वो रानी सीरियल से बोलती हैं के मेरा बेटा तो महलो में है ही नहीं तो तुम किसके लिए अपना श्रृंगार करती हो। इस बात पर रानी सीरियल माता बाछल को बताती हैं की आपका बेटा हर रात को महलो में आता हैं और सूर्य उदय होने से पहले लौट जाता हैं। इस पर माता बाछल कहती हैं के मुझे मेरे बेटे से मिला दो। रानी सीरियल कहती हैं के आज भी गोगा जी महलो में आएंगे, आप उनसे सूर्य उदय के समय मिल लेना। माता बाछल पूरी रात अपने बेटे का इंतजार करती हैं और जब सूर्य उदय के समय गोगा जी वापिस जाने लगते हैं तो माता बाछल उनसे रुकने के लिए बोलती हैं परन्तु गोगा जी महाराज अपने वचनो में बंधे होने के कारण रुकते नहीं हैं और अपने घोड़े पर सवार हो जाते है। माता बाछल गोगा जी का पीछा करती हैं, जब गोगा जी को लगता हैं के अब उनका वचन खतरे में हैं तो वे धरती माता से प्राथना करते हैं के हे ! धरती माँ मुझे अपने अंदर समा लो ताकि मैं अपनी माता के वचनो का हारी ना बनु और मेरा वचन पूरा हो। ये बात सुन कर धरती माता ने गोगा जी को अपने अंदर समा लिया। जहाँ गोगा जी महाराज समाये थे वहां पर आज उनकी बहुत बड़ी मेडी बनी हुई हैं। गोगा जी महाराज के समाने के बाद उनकी समाधि पर पहली ज्योत नाहर सिंह ने जलाई थी।आज गोगा पीर की ख्याति पुरे भारत में फैली हुई हैं, दूर-दूर से भगत अपनी मुरदे लेके गोगा जाहरवीर के दरबार में आते हैं। इनकी मेडी का नजारा वास्तव में बहुत मनमोहक हैं। गोगा पीर लगभग हर व्यक्ति के घर में पूजे जाने वाले देवता हैं।
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