कलवा पौन का इतिहास

 एक ऐसा लोक देव जो साधक को भी मार दे - कलवा पौन । खरदौनी के लोक देवता 


आदेश सतगुरु जी !!

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे Blog लोक देवालय में यहाँ आपको भारत के अलग-अलग लोक देवताओ के बारे में जानने को मिलेगा। तो चलिए शुरू करते हैं

प्रिये पाठको आज के इस दौर में भी ऐसे - ऐसे तांत्रिक, साधक और भगत हमारे बीच मौजूद है, जो आपको कहीं भी बैठे - बैठे किसी जगह या किसी व्यक्ति के बारे में बता सकते है, जहां पर शायद वह कभी खुद नहीं गया हो या उस मनुष्य को न जानता हो। आप जानना चाहते हो के वे ऐसा करने में कैसे सक्षम हो जाते है। वे तांत्रिक या भगत ऐसा इसलिए कर सकते है क्युकी उनके पास 56 कालवो में से कोई एक या दो कलवे चलते होंगे। आज हम आप लोगो के लिए उन 56 कलवो में से एक सबसे शक्तिशाली कलवा पौन के बारे में लेख लेके आये हैं।

कहाँ से आये 56 कलवे ?

56 कलवे गुरु गोरखनाथ के धुनें से प्रकट हुए थे और इस शक्ति के पहले मालिक गुरु गोरख नाथ थे। बाद में उन्होंने ये शक्ति अपने परम शिष्य  गुगा जहरवीर को दी। गुगा जाहरवीर से ये शक्तियाँ 5 बावरियों  ने ली। ( यह भी पढ़े :- गुगा जाहरवीर से कैसे 5 बावरियों ने 56 कलवे भार लिया ? ) 

कलवा पौन का इतिहास !!


दोस्तों कलवा पौन के इतिहास के बारे में ठीक से कोई नहीं जानता है। उनका इतिहास जानने की जिज्ञासा हमेशा से ही भगतो में रही है। कलवा पौन को लेके अलग अलग लोक कथाये है कुछ लोगो के अनुसार कलवा पौन 56 कलवो में से एक है जो की गुरु गोरखनाथ के धुनें से उत्पन हुए और फिर गुगा पीर से होते हुए 5 बावरियों को मिले। उनके अनुसार 5 बावरी भाइयो ने कलवा पौन को चांदनी चौक पे जमना घाट पे छोड़ दिया था। क्युकी नथिया माई को पता चल गया था की अगर कलवा पौन बागड़ पहुंच गया तो यही अपनी पूजा कराएगा और बावरियों भाइयो को बागड़ में नहीं धूकने देगा। इसलिए जब 5 बावरी भाई और नथिया माता जमना जी के किनारे पोचे तो नथिया माई कलवा पाऊँ को कहती है की हम कुछ सामान भूल आये है, तुम उसे जा कर ले आओ तब तक हम तुम्हारा यही पर इंतेज़ार करते है। ऐसा बोल के नथिया माई ने कलवा पौन को वह से भेज दिया और 5 बावरी भाइयो के साथ जमना जी को पार कर लिया। भगतो का मानना है की तब से ही कलवा पौन 5 बावरी भाइयो के विरोधी है। 

वहीं कुछ भगतो का ये भी मानना है की कलवा पौन और कोई नहीं बल्कि भीम और हिडिम्बा का पुत्र घटकोच्कच है क्युकी जब बाबा कलवा पौन की सवारी भगत में आती है तो वह पिता भीम और माता हिडिम्बा की जयकार लगाते है। इस हिसाब से वो भीम के पुत्र है। ये एक मात्र ऐसे देवता है जिनका नाम गुरु मार भी है, यदि इनका भगत या सेवक कुछ गलती करदे तो ये तुरंत उसके प्राण हर लेते है। 
बाबा कलवा पौन बाबा भैरव जैसे आग जैसे रूप के मालिक माने जाते है। अगर कोई शक्ति अपने सेवक को ही मार जाए तो आप ही कहो बाबा कलवा पौन किसी गुरु से किस वचन पर लिया जाए ताकि ये टिक कर अपने सेवक का साथ दे पाए। इनका वचनों से फिरना कुछ और ही माया का रूप दिखाता है। यह कोई राज़ ही हो सकता है की किसी को भी आज तक इनका इतिहास जानने को नहीं मिला है।


बाबा कलवा पौन का खेड़ा !!

कलवा पौन का इतिहास भले ही आज भी भगतो की नजरो में धुंधला हो परन्तु उनकी शक्ति का डंका आज भी बजता है। भग्तजन बाबा कलवा पौन से अपने लगभग ना मुमकिन कार्य सिद्ध कराते है। बाबा कलवा पौन का खेड़ा खरदौनी, उत्तर प्रदेश में है, जहाँ पर बाबा कलवा पौन को मनाने के लिए लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते है।


क्या भोग लगाया जाता है इनको ?

बाबा कलवा पौन एक तामसिक देव है जो खून और दारु का भोग लेते है। जिस भी भगत के पास ये शक्ति है उस भगत को इनका भोग परशाद समय से देना चाहिए क्युकी ये रुष्ट होकर अपने साधक के भी प्राण ले सकते है। इनके ऊपर सूअर की बलि दी जाती है और मदिरा का भोग लगाया जाता है। इनकी सिद्धि बहुत ही खरतनाक है, तो आप लोग बिना गुरु की आज्ञा के इस सिद्धि को करने का प्रयास न करे। 


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