आदेश सतगुरु जी !!
दोस्तों भगति में इतनी शक्ति होती है की वो एक आम इंसान को भी देवताओ की श्रेणी में ले जा सकती है। अगर सच्चे मन से ईश्वर की भगति की जाये तो ईश्वर आपको दुनिया के दुःख दूर करने की शक्ति प्रदान करता है। आज मै आप लोगो के सामने ऐसे ही एक देवता की कहानी लेके आया हूँ, जिसने अपनी भगति से ही एक आम इंसान से देवता का पद हासिल किया और आज अपनी शक्तियों का चमत्कार पूरी दुनिया मै दिखा रहे है। आज के समाज में भगत उनको अमर सिंह पवन या अमर सिंह पौन के नाम से जानते है और उनके जयकारे लगाते है।
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नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे Blog लोक देवालय में यहाँ आपको भारत के अलग-अलग लोक देवताओ के बारे में जानने को मिलेगा। तो चलिए शुरू करते हैं
जो लोग बाबा अमर सिंह पवन की पूजा करते है वे लोग बाबा के इतिहास से भली भांति परिचित होंगे। लेकिन जो लोग बाबा के इतिहास को नहीं जानते के कैसे अमर सिंह एक आम बच्चा होते हुए देवता की श्रेणी मै आया और अमर सिंह से अमर सिंह पवन कैसे बना। उन भगतो के लिए आज मै बाबा अमर सिंह का इतिहास लेके आया हूँ की कैसे बाबा अमर सिंह को शक्तिया प्राप्त हुई।
( नोट :- यह लेख पूर्ण रूप से इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी तथा गुरु भगतो के मुँह से सुनी कथाओ पर आधारित है। लेखक इसका पूर्ण रूप से सही होने का कोई दावा नहीं करता है। )
अमर सिंह पवन का इतिहास
दोस्तों अमर सिंह पवन का जन्म एक आम बच्चे के जैसे ही हुआ। उनकी माता का नाम मेसर था तथा उनके पिता फकीरचंद थे जिन्हे फकीरा फकीरा कहे के बुलाया जाता था। अमर सिंह अपने माता - पिता के साथ एक साधारण जीवन व्यतीत करते थे। एक बार अमर सिंह अपनी माता के साथ खेतो में गए हुए थे। उनकी माता खेतो में कोई काम कर रही थी तो बच्चे अमर सिंह को वहीं चादर बिछा कर सुला दिया। मेसर माता अपने काम में व्यस्त हो गयी और बच्चे अमर सिंह को एक जहरीला साँप डस लेता है। जब मेसर माता ने बच्चे अमर सिंह को देखा तो वो दर्द में तड़फ रहा था और धीरे धीरे मृत्यु की तरफ बढ़ रहा था। माता से अपने बच्चे की ये हालत देखि नहीं गयी और वो मदद के लिए चिल्लाने लगी। शोर सुन कर आस पास के खेतो में काम कर रहे लोग भी वहां जमा हो गए और माता मेसर से रोने का कारण पूछा। माता मेसर ने बताया की जब वो अपने काम में व्यस्त थी तो उनके सोते हुए बच्चे को साँप ने डस लिया। वहां मौजूद एक आदमी जा के कुछ सपेरों को ले आया ताकि उसका जहर उतारा जा सके। सपेरों ने अपनी पूरी महेनत लगा दी लेकिन वे बच्चे अमर सिंह का जहर नहीं उतार पाए। सपेरों ने माता मेसर से कहा की हम अपनी सारी कोशिशे कर चुके है लेकिन बच्चे का जहर नहीं उतर रहा है, आप इसको कही बहते पानी में बहा दो क्युकी चलते पानी में जहर का असर कम हो जाता है। माता मेसर अपने अधमरे बच्चे को लेके जमना नदी के पास जाती है और उसे बहा देती है। पुत्र वियोग में माता मेसर वहीं अपना दम तोड़ देती है। नथिया माई जमना जी में स्नान के लिए जाती है और उन्हें उसमे बच्चा अमर सिंह मिलता है। नथिया माई बच्चे को पानी से निकल लेती है और जैसे ही वो उसे गोद में उठाकर चलती है वो 9 गजा सयैद उनका रास्ता रोकता है और नथिया माई को पहले जमना जी से आज्ञा लेने की बात कहता है। नथिया माई जमना जी से प्राथना करती है के वो उन्हें रास्ता दिखाए तो जमना जी अमर सिंह को माता हिंगलाज के पास ले जाने की बात नथिया माई को कहती है। नथिया माई बच्चे अमर सिंह को माता हिंगलाज के पास लेके जाती है और हिंगलाज माता के सामने अमर सिंह को जिन्दा करने और उन्हें अमर करने की गुहार लगाती है। माता हिंगलाज प्रकट होती है और नथिया माई के सामने शर्त रखती है के अगर वो इस बच्चे को अपना सारा जादू और तंत्र मन्त्र सीखा कर जग भलाई में लगाती है तो वो बच्चे को वापिस जिन्दा कर देगी। इस प्रकार माता हिंगलाज बच्चे अमर सिंह को जिन्दा करती है और उसे अमर सिंह पवन नाम दे कर अमरता का वरदान देती है।
अमर सिंह पवन का शक्तियाँ प्राप्त करना
हिंगलाज माता द्वारा अमर सिंह पवन को जिन्दा करने के बाद नथिया माई अमर सिंह पवन को अपने साथ ले जाती है और उन्हें अपना सारा तंत्र मन्त्र सिखाती है। जब नथिया माई अमर सिंह पवन को अपना सारा जादू सीखा देती है तो उनको गुरु गोरखनाथ के पास जाने की आज्ञा देती है। बच्चा अमर सिंह पवन नथिया माई की तंत्र विद्या में निपुण होकर गुरु गोरखनाथ से मिलने के लिए उनके धुनें की तरफ चल पड़ता है। गुरु गोरखनाथ अपने धुनें पर योग माया की निंद्रा में थे तो बच्चा अमर सिंह पवन वही उनके धुनें पर बैठ कर गुरु गोरखनाथ का ध्यान लगा लेता है। जब गुरु गोरखनाथ योग माया की निंद्रा से बहार आते है तो अपने धुनें पर बालक को देखते है। गुरु गोरखनाथ बालक अमर सिंह से उसके आने का कारण पूछते है तो बाबा अमर सिंह पवन गुरु गोरखनाथ से वचन देने की बात कहते है। गुरु गोरखनाथ बच्चे अमर सिंह पवन को जो भी वे मांगे वो देने का वचन देते है तब बाबा अमर सिंह पवन गुरु गोरखनाथ से 5 वीर देने की बात कहते है। गुरु गोरखनाथ बालक अमर सिंह पवन को इस वचन के साथ 5 वीरो के शक्तियाँ दे देते है के वो इसका इस्तेमाल जग भलाई में ही करेंगे और साथ में बालक अमर सिंह पवन की धुनें की सेवा देख कर वे उनको धुनें की भी शक्तियाँ देते है के जब भी तुम मुझे बुलावोगे में तुम्हारी साहयता के लिए जरूर आऊंगा। इस प्रकार अमर सिंह पवन गुरु गोरखनाथ से 5 वीर और धुनें की शक्तियाँ लेके जग भलाई के लिए आगे बढ़ते है। आगे जा कर वे गारब से मिलते है और उनको अपना गुरु बनाते है। उसके बाद बाबा अमर सिंह पवन कैलास पर्वत की ओर भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए चल पड़ते है। जब बाबा अमर सिंह पवन कैलाश पर्वत पर पहुचते है तो वहां भोलेनाथ अपनी योग निंद्रा में थे। बाबा अमर सिंह उनको जगाने का प्रयास करते है ओर इसी प्रयास में वे भोलेनाथ के मस्तक को छू लेते है। उनका ऐसा करने से भोलेनाथ अत्यंत क्रोधित हो जाते है ओर अपने योग माया से बहार निकलते है लेकिन सामने बच्चे को देख कर शांत हो जाते है। बाबा अमर सिंह पवन भोलेनाथ से उनकी 16 कला मांगते है। भोलेनाथ बालक को अपनी 16 कलाएं दे देते है लेकिन अमर सिंह ने जो भोलेनाथ का मस्तक छुआ था उसके दंड स्वरूप उनसे 2 कलाएं वापिस ले लेते है। बाबा अमर सिंह भोलेनाथ के चरणों में गिर जाता है ओर उनसे माफ़ी मांगता है। भोलेनाथ कहते है के तुम्हारी गलती क्षमा योग्य नहीं है लेकिन में तुमसे बहुत प्रशन हूँ तो मै तुम्हे अपना स्वरूप प्रदान करता हूँ। आज से तूम मेरे ही रूप में पूजे जावोगे और तुम्हारे पास हर एक बुरी शक्ति का नास करने की शक्ति होगी।
इस प्रकार बाबा अमर सिंह पवन अपनी भगति से शक्तियाँ प्राप्त करते है और आज के इस कलयुग में अपनी शक्तियों से हर बुरी ताकत का नास करते है और अपने भगतो के जीवन को खुशहाल करते है।
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