नौ गजा पीर का इतिहास और साधना !!

आदेश सतगुरु जी !!

 दोस्तों हमारी धरती पर बहुत से पीर फ़क़ीर हुए है जिन्होंने अपनी शक्ति के बल पर अपना दुनिया में नाम किया है। आज मैं आप लोगो के सामने ऐसे ही एक पीर की कहानी लेके आया हूँ जो अपनी शक्ति के बल पर भगतो को पर्चे लगाता है और पल भर में उनका बिगड़ा हुआ काम सवार देता है। दोस्तों मैं बात कर रहा हूँ हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक 9 गजा पीर की, जिनमेँ हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही समान रूप से श्रद्धा रखते है और अपनी मुँह मांगी मुरादे पाते है।

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नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे Blog  लोक देवालय  में यहाँ आपको भारत के अलग-अलग लोक देवताओ के बारे में जानने को मिलेगा। तो चलिए शुरू करते हैं

 ( नोट :- यह लेख पूर्ण रूप से इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी तथा गुरु भगतो के मुँह से सुनी कथाओ पर आधारित है। लेखक इसका पूर्ण रूप से सही होने का कोई दावा नहीं करता है। )

9 गजा पीर का इतिहास 

नौगाजा पीर एक संत थे, जिनकी ऊंचाई 9 "गज" थी जो भारतीय मीट्रिक इकाइयों में 8 मीटर और 36 इंच या 27 फीट के बराबर होती है। इनका नाम सैयद इब्राहिम बादशाह था, जो माना जाता है कि समय के साथ-साथ सभी कामों को पूरा करते थे। नौगजा पीरजी आज भी अपने भक्तों को दर्शन देते है और उनकी मुरादेँ पूरी करते हैँ। पंजाब क्षेत्र में नौगजा पीर के कई मंदिर हैं जो पंजाबी लोक धर्म का हिस्सा हैं। बाबा नौगाजा पीर मूलतः इराक से थे और हरियाणा के कल्याण गांव में शाहाबाद मार्कंडा, कुरुक्षेत्र के पास उनकी मजार है। मंदिर की एक मुख्य विशेषता यह है कि यहां एक मुस्लिम संत की कब्र और एक हिंदू शिव मंदिर दोनों साथ-साथ है। लोग दोनों जगहों पर जाते हैं और अपनी इच्छाओं के लिए इनकी पूजा करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शेषनागा को एक बार नौगाजा पीर की जगह पर देखा गया था।

9 गजा पीर की विशेष मान्यता 

9 गजा पीर के मंदिर की एक विशेष मान्यता है, यहां आपको इनके ऊपर लगभग हर प्रकार की चढाई हुई घडी देखने को मिल जाएगी क्युकी सुरक्षित यात्रा के लिए इनको बहुत माना जाता है और यात्रा में कोई अड़चन न आये इसलिए इनके ऊपर घडी चढाई जाती है। घडी के अलावा भग्तजन इनको चादर, धुप और पुष्प भी अर्पित करते है। कई राजनेता भी इस पवित्र स्थान पर प्रार्थना के लिए आते हैं। उत्तर और दक्षिण भारत के टैक्सी चालकों के लिए यह पूजा करने का एक आवश्यक स्थान माना जाता है।



9 गजा पीर की साधना 

दोस्तों अगर नौगजा पीर को सिद्ध कर लिया जाये तो ऐसा कोई कार्य नहीं जो पूर्ण ना किया जा सकेँ। नौगजा पीर की सिद्धि अधिकतर तांत्रिक ही करते है क्योंकि वह नौगजा पीरजी के द्वारा तांत्रिक क्रियायों का निवारण करते है। भूत, प्रेत, किया-कराया, घर में खून के छींटे आना, औलाद ना होना ऐसी अनेकों समस्याओं का निवारण नौगजा पीर तुरंत कर देते है। इनकी साधना को आप किसी भी शुक्लपक्ष के गुरुवार से शुरू कर सकते हैँ। साधना के प्रथम दिन पीले मीठे चावल बांटे और रात्रि दस बजे के बाद एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं और अपने गुरुदेव से मानसिक आज्ञा लेकर निचे दिए गए मंत्र का जप शुरू कर देँ। यह जप आपको ढाई घंटे करना है। माला की कोई आवश्यकता नहीं है। साधना के दौरान लोहबान सुलगता रहे और साधक के वस्त्र शुद्ध तथा साफ़ होने चाहिए। कान में इत्र का फाहा लगाकर जप करे और अपने शरीर पर भी इत्र लगाकर रखे। दीपक के आस-पास सुगन्धित फूल रखेँ। यह क्रिया आपको प्रतिदिन पूरे 41 दिन तक करनी है। अंतिम दिन एक नौगज की हरी चादर, सवा किलो लड्डू, एक मीठा पान, एक सुपारी और इत्तर का फाहा किसी भी पीर की मजार पर चढ़ायेँ। साधना के दौरान भूमि पर ही सोये तथा पूर्ण रूप से ब्रहमचर्य का पालन करेँ।


नौगजा पीर का मन्त्र 

बिस्मिल्ला रहमन रहीम ,
घेरे पर घेरा तेइस सो पीर, 
संग में चले नौगजा पीर सैय्यद इब्राहिम,
सैय्यद इब्राहिम नौगजा पीर कहाँ से आया मक़्क़ा मदीना से आया,
सट्टे की घड़िया बांदता आये,दुश्मन की नाड़ियां बांधता आये,
अपनी विद्या चलाता आये,भक्त के बुलाया चौकी चलाये,
अस्सी कोसां दी खबर लिआये,बंद दरवाजेयां नु खोलदा आये,
बन्नी नज़र नु खोलदा आये,भक्त दी बंदी खोलदा आये,
अली-अली बोलदा आये,जे ना आये अपनी माँ दा दुध हराम करें,
नौगजा पीर ना कहाये।
पाकपट्टन के बाबा फरीद दी दुहाई,मौला अली दी दुहाई। 
तरे पीर दी दुहाई,पीराने पीर दी दुहाई,हाजर हो मेरे पीर बादशाह नौगजा पीर।

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